Spread the love

नाभि सेटिंग

नाभि सेटिंग को आमतौर पर योग और तंत्रिका के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। इसका उद्देश्य शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सुधारना होता है। नाभि सेटिंग के सिलेबस और विवरण विभिन्न गुरुकुलों और योग संस्थाओं के अनुसार भिन्न हो सकते हैं, लेकिन यहां कुछ सामान्य विषयों को शामिल किया गया है जो नाभि सेटिंग के सिलेबस का हिस्सा हैं:

योगासन:

नाभि सेटिंग के लिए कुछ विशेष योगासनों का अभ्यास किया जाता है, जिनमें ध्यान, प्राणायाम, और आसन शामिल हो सकते हैं। ये आसन नाभि क्षेत्र को मजबूत और संतुलित करने में मदद करते हैं।

ध्यान और प्राणायाम:

ध्यान और प्राणायाम नाभि क्षेत्र को ऊर्जा से भरने और स्थिरता प्राप्त करने में मदद करते हैं। इनके माध्यम से व्यक्ति अपने मानसिक और भावनात्मक स्थितियों को नियंत्रित कर सकता है।

नाभि मसाज:

नाभि क्षेत्र की मसाज का अभ्यास किया जाता है ताकि वह उत्तेजित हो, संतुलित हो, और स्वस्थ रहे।

मंत्र और तंत्र विज्ञान:

कुछ संस्थानों में नाभि सेटिंग का अध्ययन मंत्र और तंत्र विज्ञान के साथ भी जोड़ा जाता है, जो आत्मा के गहरे स्तर पर संवेदनशीलता को बढ़ावा देता है।

आहार और जीवनशैली:

सेहतमंद आहार, स्वस्थ जीवनशैली, और विभिन्न प्रकार के उपाय नाभि सेटिंग के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। योगिक भोजन, प्राणायाम, और संतुलित व्यायाम इसमें शामिल हो सकते हैं।

नाभि सेतु:

कुछ तंत्रिका शास्त्रों में नाभि सेतु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, जो आत्मा के शरीर में स्थानांतरित होने की प्रक्रिया का संकेत करती है। इसे ध्यान में लाने के लिए विभिन्न तंत्रिक कार्यक्रम होते हैं।

यह सिलेबस नाभि सेटिंग के मूल तत्वों को समाहित करता है, जो शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं। इसमें ध्यान, योग, प्राणायाम, तंत्रिका और आहार के महत्वपूर्ण पहलू शामिल होते 

Scroll to Top